विक्रम लैंडर क्‍या है : Vikram Lander Kya Hai in Hindi

विक्रम लैंडर क्‍या है : Vikram Lander Kya Hai in Hindi

विक्रम लैंडर क्‍या है : Vikram Lander Kya Hai in Hindi – तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बहुत ही जरुरी जानकारी प्रदान करेंगे। हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि विक्रम लैंडर क्‍या है? अगर आप भी इस महत्व पूर्ण जानकारी को सम्पूर्ण तरीके से प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े !

विक्रम लैंडर क्‍या है : Vikram Lander Kya Hai in Hindi
विक्रम लैंडर क्‍या है : Vikram Lander Kya Hai in Hindi

विक्रम लैंडर क्या है | Vikram Lander Kya Hain?

विक्रम लैंडर चंद्रयान-3 मिशन का एक हिस्सा है, जो भारत का तीसरा चंद्र मिशन है। यह एक अंतरिक्ष यान है जो चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। लैंडर में रोवर को तैनात करने की क्षमता भी है, जो चंद्र सतह का अन्वेषण करेगा।

विक्रम लैंडर का नाम भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।

विक्रम लैंडर का वजन 1752 किलोग्राम है। यह 8 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा है। इसमें एक मुख्य इंजन, चार सहायक इंजन और कई अन्य उपकरण हैं।

विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित है। यह प्रक्रिया 17 मिनट तक चलती है। इस प्रक्रिया के दौरान, लैंडर चांद की सतह की निगरानी करने के लिए अपने कैमरों का उपयोग करता है और अपनी गति और स्थिति को समायोजित करता है।

विक्रम लैंडर के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना
  • रोवर को तैनात करना
  • चंद्र सतह का अन्वेषण करने के लिए रोवर को नियंत्रित करना

विक्रम लैंडर का लक्ष्य चंद्र सतह पर भारत का पहला मानव रहित रोवर उतारना है। यह मिशन चंद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगा।

विक्रम लैंडर के मुख्य कार्य क्या है | Vikram Lander Ke Mukhy Kary Kya Hain?

विशिष्ट रूप से, विक्रम लैंडर के मुख्य कार्यों को निम्नलिखित रूप से समझाया जा सकता है:

  • चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना: विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए एक उन्नत सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्रणाली से लैस किया गया है। इस प्रणाली में एक मुख्य इंजन, चार सहायक इंजन और कई अन्य उपकरण शामिल हैं। विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित है। यह प्रक्रिया 17 मिनट तक चलती है। इस प्रक्रिया के दौरान, लैंडर चांद की सतह की निगरानी करने के लिए अपने कैमरों का उपयोग करता है और अपनी गति और स्थिति को समायोजित करता है।
  • रोवर को तैनात करना: विक्रम लैंडर में रोवर को तैनात करने की क्षमता भी है। रोवर एक छोटा, मानव रहित वाहन है जो चंद्र सतह का अन्वेषण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। रोवर में कई उपकरण हैं जो इसे चंद्र सतह के बारे में जानकारी एकत्र करने की अनुमति देते हैं, जैसे कि चट्टानों और मिट्टी का विश्लेषण, भूकंपीय गतिविधि का मापन, और चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करना।
  • चंद्र सतह का अन्वेषण करने के लिए रोवर को नियंत्रित करना: विक्रम लैंडर रोवर को नियंत्रित करने की भी क्षमता रखता है। यह रोवर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए, और अपने उपकरणों को उपयोग करने के लिए निर्देश भेजने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

विक्रम लैंडर एक महत्वपूर्ण मिशन है जो चंद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगा। यह भारत के पहले मानव रहित रोवर की तैनाती को चिह्नित करेगा, और चंद्र सतह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करने में मदद करेगा।

Vikram Lander News:

इसरो का यह तीसरा मिशन है, जिसमें लैंडर यात्रा करेगा। इस लैंडर पर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेता माने जाने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का नाम है। चंद्रमा की सतह पर केवल विक्रम लैंडर ही सॉफ्ट टचडाउन करेगा। इसका मतलब यही है जब लैंडर बिना किसी नुकसान के चंद्रमा की सतह पर धीरे से गिरता है। लैंडर विक्रम का वजन 1752 किलोग्राम है। पैकेज में 26 किलोग्राम वजनी रोवर भी जोड़ा गया है। लैंडर की सतह को छूने के बाद यह विभाजित हो जाएगा और अपना कार्य करेगा। इसके विपरीत प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2148 किलोग्राम है। इसलिए, चंद्रमा पर उतरने वाले लैंडर का वजन कुल 3900 किलोग्राम है।

कितने किलो का है रोवर ‘प्रज्ञान’?

रोवर, प्रज्ञान, लैंडर के अंदर रहेगा। यह 1 सेमी/सेकंड की गति से लैंडर से बाहर निकलेगा। बाहर आने में चार घंटे लगेंगे। उभरने के बाद यह चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। चंद्रमा पर यह एक दिन (पृथ्वी पर 14 दिन) तक कार्य करेगा। प्रज्ञान रोवर का माप 91.7 x 75.0 x 39.7 सेमी वर्गाकार है और इसका वजन 26 किलोग्राम है। इसमें छह-पहिया, रॉकर शैली की बोगी व्हील ड्राइव व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त, इसमें 50W सौर पैनल और नेविगेशन कैमरे शामिल हैं। इसका लैंडर से सीधा Rx/Tx एंटीना कनेक्शन है।

चंद्र अभियान केवल 14 दिनों तक ही क्यों चल सकता है?

चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। ऐसे में लैंडर और रोवर के पास दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद कार्य पूरा करने के लिए सिर्फ 14 दिन का समय है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य में रहेगा और दोनों को सौर ऊर्जा प्राप्त होती रहेगी। दक्षिणी ध्रुव पर 14 दिनों के बाद वास्तव में अंधेरा हो जाएगा। इसके बाद लैंड रोवर और रोवर दोनों का संचालन बंद हो जाएगा। प्रज्ञान रोवर का वजन 26 किलोग्राम है और यह 50W बिजली का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त, इस पर दो ध्रुव हैं।

रोवर प्रज्ञान क्या काम करेगा?

प्रज्ञान रोवर पर दो ध्रुव हैं। अन्य चीजों के अलावा खनिज पानी भी रोवर को चंद्रमा की सतह पर मिलेगा। इसके अलावा, रोवल चंद्रमा पर पाई जाने वाली गंदगी और चट्टान की जांच करेगा। रोवर 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ेगा। इसे छह पहियों पर लगाया गया है। वह लगातार कैमरे से तस्वीरें लेता और विक्रम को भेजता।

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