माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं : Maitrokandriya Kise Kahte Hai

माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं : Maitrokandriya Kise Kahte Hai

माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं : Maitrokandriya Kise Kahte Hai – तो आज हम आपको बताएंगे कि माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं? अगर आप भी इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े !

माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं : Maitrokandriya Kise Kahte Hai
माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं : Maitrokandriya Kise Kahte Hai

माइटोकांड्रिया किसे कहते हैं | Maitrokandriya Kise Kahte Hain?

माइटोकांड्रिया कोशिका का एक प्रकार का अंगक है, जो कोशिका के अंदर ऊर्जा पैदा करता है। इसे “कोशिका का बिजलीघर” भी कहा जाता है। माइटोकांड्रिया का आकार गोलाकार, अंडाकार या डंडे जैसा होता है। ये कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र रूप से तैरते रहते हैं।

माइटोकांड्रिया में दो झिल्ली होती हैं, एक बाहरी झिल्ली और एक आंतरिक झिल्ली। बाहरी झिल्ली पतली और झरझरा होती है, जबकि आंतरिक झिल्ली कई वलनों से बनी होती है, जिन्हें क्रिस्टी कहा जाता है। क्रिस्टी में एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का उत्पादन होता है, जो कोशिका की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।

माइटोकांड्रिया कोशिका के अंदर भोजन को तोड़ने और ऊर्जा पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह प्रक्रिया श्वसन कहलाती है। श्वसन के दौरान, माइटोकांड्रिया भोजन से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में टूटने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में, माइटोकांड्रिया एटीपी का उत्पादन करते हैं, जो कोशिका के सभी कार्यों के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।

माइटोकांड्रिया कोशिका के विकास और विभाजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कोशिका के अंदर प्रोटीन और अन्य आवश्यक पदार्थों का उत्पादन करते हैं। माइटोकांड्रिया कोशिका के डीएनए को भी संरक्षित करते हैं।

माइटोकांड्रिया सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाते हैं, जिसमें जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों की कोशिकाएं शामिल हैं। माइटोकांड्रिया की संख्या और आकार कोशिका के प्रकार और कार्य पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, मांसपेशी कोशिकाओं में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए इनमें अन्य प्रकार की कोशिकाओं की तुलना में अधिक माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं।

माइटोकांड्रिया के कार्य | Maitrokandriya Ke Kary?

माइटोकांड्रिया कोशिका का एक प्रकार का अंगक है, जो कोशिका के अंदर ऊर्जा पैदा करता है। इसे “कोशिका का बिजलीघर” भी कहा जाता है। माइटोकांड्रिया के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • ऊर्जा उत्पादन: माइटोकांड्रिया कोशिका के अंदर भोजन को तोड़कर ऊर्जा पैदा करते हैं। यह प्रक्रिया श्वसन कहलाती है। श्वसन के दौरान, माइटोकांड्रिया भोजन से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में टूटने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में, माइटोकांड्रिया एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का उत्पादन करते हैं, जो कोशिका की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।
  • प्रोटीन उत्पादन: माइटोकांड्रिया कोशिका के अंदर प्रोटीन का उत्पादन करते हैं। प्रोटीन कोशिका के सभी कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं।
  • डीएनए का संरक्षण: माइटोकांड्रिया में अपना स्वयं का डीएनए होता है, जो कोशिका के डीएनए से अलग होता है। माइटोकांड्रिया का डीएनए कोशिका के विकास और विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

माइटोकांड्रिया कोशिका के विकास और विभाजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कोशिका के अंदर प्रोटीन और अन्य आवश्यक पदार्थों का उत्पादन करते हैं। माइटोकांड्रिया कोशिका के डीएनए को भी संरक्षित करते हैं।

माइटोकांड्रिया सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाते हैं, जिसमें जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों की कोशिकाएं शामिल हैं। माइटोकांड्रिया की संख्या और आकार कोशिका के प्रकार और कार्य पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, मांसपेशी कोशिकाओं में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए इनमें अन्य प्रकार की कोशिकाओं की तुलना में अधिक माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं।

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माइटोकॉन्ड्रिया का दूसरा नाम क्या है?

माइटोकॉन्ड्रिया का दूसरा नाम “कोशिका का बिजलीघर” है। यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका के अंदर ऊर्जा पैदा करता है, जो कोशिका के सभी कार्यों के लिए आवश्यक है।

Maitrokandriya माइटोकॉन्ड्रिया को बिजलीघर क्यों कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया को “कोशिका का बिजलीघर” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका के अंदर ऊर्जा पैदा करने के लिए जिम्मेदार होता है। माइटोकॉन्ड्रिया में एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का उत्पादन होता है, जो कोशिका की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। एटीपी कोशिका के सभी कार्यों के लिए आवश्यक है, जैसे कि मांसपेशियों का संकुचन, तंत्रिका आवेगों का संचार, और कोशिकाओं का निर्माण और मरम्मत।

माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका के अंदर भोजन को तोड़कर ऊर्जा पैदा करता है। यह प्रक्रिया श्वसन कहलाती है। श्वसन के दौरान, माइटोकॉन्ड्रिया भोजन से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में टूटने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में, माइटोकॉन्ड्रिया एटीपी का उत्पादन करते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका के विकास और विभाजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कोशिका के अंदर प्रोटीन और अन्य आवश्यक पदार्थों का उत्पादन करते हैं। माइटोकांड्रिया कोशिका के डीएनए को भी संरक्षित करते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाते हैं, जिसमें जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों की कोशिकाएं शामिल हैं। माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या और आकार कोशिका के प्रकार और कार्य पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, मांसपेशी कोशिकाओं में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए इनमें अन्य प्रकार की कोशिकाओं की तुलना में अधिक माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया का जनक कौन है?

माइटोकॉन्ड्रिया के जनक अल्बर्ट वॉन कोलिकर (Albert von Kolliker) को माना जाता है। उन्होंने सन् 1857 में माइटोकॉन्ड्रिया की खोज की थी। उन्होंने पहली बार माइटोकॉन्ड्रिया को “बीजाणु” (bioblasts) नाम दिया था।

बाद में, सन् 1894 में, कार्ल अल्टमान (Carl Altmann) ने माइटोकॉन्ड्रिया को “माइटोकॉन्ड्रिया” (mitochondria) नाम दिया। उन्होंने माइटोकॉन्ड्रिया का अध्ययन करके यह पता लगाया कि ये कोशिका के अंदर ऊर्जा पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया की खोज के बाद, कई वैज्ञानिकों ने इनके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए शोध किया है। इस शोध के परिणामस्वरूप, माइटोकॉन्ड्रिया के कार्यों और महत्व के बारे में हमारे ज्ञान में काफी वृद्धि हुई है।

माइटोकॉन्ड्रिया कौन सी कोशिका में पाई जाती है?

माइटोकॉन्ड्रिया लाल रक्त कोशिकाओं में पाई जाती है। माइटोकॉन्ड्रिया और उसके अंदर के डीएनए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मां के अंड कोशिकाओं के माध्यम से पास कर सकते हैं।

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